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Nominate Neelendra Nath for a social media award in the Shorty Awards!
Nominate Neelendra Nath for a social media award in the Shorty Awards

Friday, March 18, 2011

दो थके हुए पांव

दो थके हुए पांव 
थोड़ा चलते हैं,
गीले रास्तों पर
थोड़ा फिसलते  हैं|

कोरी धुप में 
थोड़ी बारीश होती है,
घने सन्नाटे  में
एक गूँज खोती है|

अँधेरे में आती हुई
रौशनी खलती है,
चाँद की गर्मी में
रात जलती है|

सुबह सवेरे 
सूरज ढल जाता है,
 रोते आसुंओं से 
दिल बेहेल जाता है |

बेहती हवा को
पत्ते रोक लेते हैं,
पेड़ से पानी,
मिटटी सोख लेते हैं|

बेहता खून 
धड़कन रोक लेता है,
मुंह खुलती है
पर जुबान कहाँ कुछ कहता है|

सब कुछ तो बेजान है
फिर भी जीने की कोशिश करते हैं,
दो थके हुए पांव
फिर थोड़ा चलते हैं||